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 Hindi Scraps || Hindi Poetry
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Author Topic: Hindi Scraps || Hindi Poetry  (Read 42155 times)
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #28 Posted: April 25, 2007, 10:09:27 AM »


मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'।

एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला।

बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला,
रहे फेरता अविरत गति से मधु के प्यालों की माला'
'और लिये जा, और पीये जा', इसी मंत्र का जाप करे'
मैं शिव की प्रतिमा बन बैठूं, मंदिर हो यह मधुशाला।।

अधरों पर हो कोई भी रस जिहवा पर लगती हाला,
भाजन हो कोई हाथों में लगता रक्खा है प्याला,
हर सूरत साकी की सूरत में परिवर्तित हो जाती,
आँखों के आगे हो कुछ भी, आँखों में है मधुशाला।।

मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला

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« Reply #29 Posted: April 26, 2007, 01:03:26 PM »
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #29 Posted: April 26, 2007, 01:03:26 PM »

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥


अर्थात्:
हम उन शिव अथवा रुद्र की पूजा करते हैं जो दुर्गन्ध को हटाने वाले तथा बल को देनेवाले है और जो रोग एवं मृत्यु को इस प्रकार निकाल बाहर करते हैं जैसे साँप अपनी केंचुली को फेंक देता है
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« Reply #30 Posted: April 27, 2007, 12:41:21 AM »
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #30 Posted: April 27, 2007, 12:41:21 AM »

मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं.
मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है!
मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं.......
कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी...
कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी....
मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं...
मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं...
मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी...
बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं...
मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी...
लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं
मेरे बारे में और सच, kewal main bata sakta hun.


बुलबुलों में रहा पिंजरों की तरह,
रास्तों पर चला मंजिलों की तरह,
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« Reply #31 Posted: April 29, 2007, 08:03:51 PM »
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #31 Posted: April 29, 2007, 08:03:51 PM »

इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे

छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे
अब डूब रहा हु तो एक सािहल की तलाश है मुझे

लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से
बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे

तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
अब एक हसीन िजन्द्गी की तलाश है मुझे

दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे
जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे
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« Reply #32 Posted: May 04, 2007, 12:33:14 PM »
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #32 Posted: May 04, 2007, 12:33:14 PM »

कामायनी
('निर्वेद' परिच्छेद के कुछ छंद)

"तुमुल कोलाहल कलह में
मैं हृदय की बात रे मन!

विकल होकर नित्य चंचल,
खोजती जब नींद के पल,
चेतना थक-सी रही तब,
मैं मलय की वात रे मन!

चिर-विषाद-विलीन मन की,
इस व्यथा के तिमिर-वन की;
मैं उषा-सी ज्योति-रेखा,
कुसुम-विकसित प्रात रे मन!

जहाँ मरु-ज्वाला धधकती,
चातकी कन को तरसती,
उन्हीं जीवन-घाटियों की,
मैं सरस बरसात रे मन!

पवन की प्राचीर में रुक
जला जीवन जी रहा झुक,
इस झुलसते विश्व-दिन की
मैं कुसुम-ऋतु-रात रे मन!

चिर निराशा नीरधर से,
प्रतिच्छायित अश्रु-सर में,
मधुप-मुखर-मरंद-मुकुलित,
मैं सजल जलजात रे मन!"
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« Reply #33 Posted: May 07, 2007, 11:39:30 AM »
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #33 Posted: May 07, 2007, 11:39:30 AM »

just for u:
dosti pehli baarish ki boondon main hai
dosti khilte phoolon ki khushboo main hai
dosti dhalte sooraj ki kirano main hai
dosti har naye din ki umeed hai
dosti khwaab hai,dosti jeet hai
dosti pyaar hai,dosti geet hai
dosti do jahano ka sangeet hai
dosti har khushi,dosti zindagi
dosti agahi,roshni,bandagi
dosti sang chalty hawaon main hai
dosti in barasti ghataon main hai
dosti doston ki wafaon main hai
haath uttha kay jo maangi gayi hai dua
dosti ka asar in duaon main hai....!!! honeywell
dosti pehli baarish ki boondon main hai
dosti khilte phoolon ki khushboo main hai
dosti dhalte sooraj ki kirano main hai
dosti har naye din ki umeed hai
dosti khwaab hai,dosti jeet hai
dosti pyaar hai,dosti geet hai
dosti do jahano ka sangeet hai
dosti har khushi,dosti zindagi
dosti agahi,roshni,bandagi
dosti sang chalty hawaon main hai
dosti in barasti ghataon main hai
dosti doston ki wafaon main hai
haath uttha kay jo maangi gayi hai dua
dosti ka asar in duao main hai
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« Reply #34 Posted: May 07, 2007, 11:44:17 AM »
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #34 Posted: May 07, 2007, 11:44:17 AM »

кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪

♪ ααηѕσσ тєяє ѕαααяє мєяι ραℓкσ ρє ѕαנαα∂є ♪

♥ тυ нαя gнαяι нαя ωαqт мєяє ѕααтн яαнα ну ♥

♥ нααη ує נιѕм кαвнι ∂σσя кαвнι ρααѕ яαнα ну ♥

♥ נσ внι gнυм нαιη ує тєяє, υηнє тυ мєяα ραтα ∂є ♥

♪ кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪

♪ ααηѕσσ тєяє ѕαααяє мєяι ραℓкσ ρє ѕαנαα∂є ♪

♥ мυנн кσ тσ тєяє ¢нєняє ρє ує gнυм ηαнι נαנтα ♥

♥ נααιz ηαнι ℓαgтα мυנнє gнυм ѕє тєяα яιѕнтα ♥

♥ ѕυη мєяι gυzααяιѕн , ιѕє ¢нєняє ѕє нαтα ∂є ♥

♥ ѕυη мєяι gυzααяιѕн , ιѕє ¢нєняє ѕє нαтα ∂є ♥

♪ кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪

♪ ααηѕσσ тєяє ѕαααяє мєяι ραℓкσ ρє ѕαנαα∂є ♪

♪ кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪
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« Reply #35 Posted: May 25, 2007, 06:39:14 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #35 Posted: May 25, 2007, 06:39:14 PM »

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियोयोनः प्रचोदयात् ॥
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« Reply #36 Posted: June 28, 2007, 11:30:01 PM »
Khushi
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #36 Posted: June 28, 2007, 11:30:01 PM »

बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,
उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लू
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« Reply #37 Posted: July 20, 2007, 12:13:11 PM »
Tina
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #37 Posted: July 20, 2007, 12:13:11 PM »

तुम हमारे नहीं तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो हैं यह क्या कम है
मुस्करा दो जरा खुदा के लिये
शमे महफ़िल मे रोशनी कम है
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो है यह क्या कम है
बन गया है यह जिन्दगी अब तो
तुझ से बढ कर हमे तेरा गम है
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो है यह क्या कम है
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« Reply #38 Posted: July 26, 2007, 08:41:33 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #38 Posted: July 26, 2007, 08:41:33 PM »

मेरा दिल तुम्हारी धङकन में धङकता है,

फिर इजहार-ए-मुहब्बत की जरूरत क्या है ?

जब खुदा मेहरबान है हमारे इश्क पर,

तो जमाने को मनाने की जरूरत क्या है ?
............ ......... ......... ......... ..
आज कितने दिनों बाद बूंदें गिरीं, ये बारिश नहीं, कोई रो रहा है ।

तभी तो इतनी ठंडी हवा चल रही है, कोई दुखी मन से सो रहा है ।

शोर मत मचाना, नहीं तो दर्द जाग डायेगा,

और वो उसका प्यारा सा स्वप्न भी भाग जायेगा ।

इन बूंदों से उसका दर्द कम हो रहा है ।

तुम भी सो जाओ इस अहसास के साथ कि तुम्हारा दर्द तुम्हारे साथ सो रहा है ।
............ ......... ......... ......... ..
कब मैं मैं से तुम हो गयी, तुम्हारी यादों में गुम हो गयी ।

इस पर भी तुमने मेरी आरजू को न पहचाना, तुमने मुझे तुम नहीं आप ही जाना।
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« Reply #39 Posted: September 01, 2007, 02:27:11 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #39 Posted: September 01, 2007, 02:27:11 PM »

फूलो से कह दो महकना बंद कर दे, की उनकी महक की कोई जरूरत नही....

सितारो से कह दो चमकना बंद कर दे, की उनकी चमक की कोई जरूरत नही....

भवरो से कह दो अब ना गुनगुनाये, की उनकी गुंजन की कोई जरुरत नही....

सागर की लहरे चाहे तो थम जाये, की उनकी भी कोई जरुरत नही....

सुरज चाहे तो ना आये बाहर्, की उसकी किरणो की भी जरुरत नही....

चाँद चाहे तो ना चमके रात भर, की उसके आने की भी जरुरत नही....


वो जो आ गये हैं इस जहाँ में, तो दुनिया मे और किसी खूबसूरती की जरुरत ही नही
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« Reply #40 Posted: September 20, 2007, 11:48:22 AM »
Vatsal
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #40 Posted: September 20, 2007, 11:48:22 AM »

छतरी लेने नहीं जाऊंगा


तीन आदमी, दो अधेड़ और एक युवा, किसी बीयर बार में बीयर पीने गये। जब वह पीने लगे तो एक आदमी बोला - ''लगता है बाहर बारिश हो रही है।'' गरमागरम बहस के बाद तय हुआ कि उम्र में सबसे छोटा छतरी लेने के लिये घर जाये। लड़का गुर्राया - ''मेरे जाने पर तुम मेरी सारी बीयर पी जाओगे।'' उसे इतमीनान दिलाया गया कि नहीं पीयेंगे, उसके हिस्से की ज्यों की त्यों रखी रहेगी। तब कहीं छोटे मियां छतरी लेने चले।
रात गहराने लगी पर छोटे मियां नहीं लौटे। अन्त में एक बोला - ''क्यों न उन हजरत के हिस्से की भी पी ही ली जाये। अब तो वे आने से रहे।''
दूसरा बोला - ''मैं भी यही सोच रहा था। आओ पी लें।''
बार के एक कोने की छोटी सी खिड़की से तेज आवाज आई - ''अगर पीओगे तो मैं छतरी लेने नहीं जाऊंगा।''
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« Reply #41 Posted: November 22, 2007, 03:04:45 PM »
Taruna
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #41 Posted: November 22, 2007, 03:04:45 PM »

हर नज़र को एक नज़र की तलाश है,

हर चहरे मे कुछ तोह एह्साह है,

आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,

क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है. .

चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,

तोह चाँद की चाहत किसे होती.

कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,

तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.

कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,

इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,

जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,

न बताकर बेवफाई मत करना.

दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है

अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है

दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,

अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है.

दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही.

दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही,

इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,

यह वो "अनमोल" मोटी है जो बिकता नही . . .

सची है दोस्ती आजमा के देखो..

करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो,

बदलता नही कभी सोना अपना रंग ,

चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो .............
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